विशेष संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक देवेन्द्र सिंह चौहान आज सेवानिवृत हो गए। उनके स्थान पर अब 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी राजकुमार विश्वकर्मा को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। राजकुमार विश्वकर्मा यानी आरके विश्वकर्मा वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष और ईओडब्लू की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस अतिरिक्त प्रभार के लिए आरके विश्वरकर्मा को अलग से कोई वेतन या भत्ता नहीं दिया जाएगा।
बता दें कि राजकुमार विश्वकर्मा 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। डीएस चौहान के सेवानिवृत होने के बाद अब आरके विश्वकर्मा को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी चुना गया है। 12 मई 2022 को कार्यभार ग्रहण करने वाले डीजीपी डीएस चौहान का कार्यकाल आज पूरा हो गया।, जिसके चलते राजकुमार विश्वकर्मा को यूपी का कार्यवाहक डीजीपी चुना गया। राजकुमार विश्वकर्मा अन्य जिम्मेदारियों के साथ अब इस जिम्मेदारी को भी संभालेंगे।
1988 बैच के ही चार अफसर डीजीपी पद की रेस में बताए जा रहे थे। इनमें विजय कुमार की सेवानिवृत्ति जनवरी 2024 में है। वहीं डीजी की रेस में एक नाम आनंद कुमार का भी है, वह अप्रैल 2024 में रिटायर होंगे। इसी बैच के अनिल कुमार अग्रवाल जो कि फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, वह अप्रैल और डॉ राजकुमार विश्वकर्मा मई 2023 में रिटायर होने वाले हैं। माना जा रहा है पुलिस ऐसे किसी अधिकारी को पुलिस विभाग की कमान सौंपेगी, जिसका कार्यकाल लगभग साल भर का हो। एक साल पहले जब मुकुल गोयल को पुलिस महानिदेशक पद से हटाया गया था, तब भी देवेंद्र सिंह चौहान के साथ आरके विश्वकर्मा डीजीपी पद की दौड़ में थे, लेकिन बाजी उनके हाथ से फिसल गई. सरकार ने उनके छोटे कार्यकाल के बावजूद वरिष्ठता के आधार पर उन्हें डीजीपी बनाया है।
सपा सरकार में आईजी के पद की संभाल चुके जिम्मेदारी
बताया जा रहा है कि राजकुमार विश्वकर्मा के चयन के पीछे सबसे बड़ी वजह उनकी कार्यशैली और ईमानदार छवि है। आरके विश्वकर्मा को मुकुल गोयल के बाद दूसरा सीनियर मोस्ट आईपीएस कहा जाता है। आरके विश्वकर्मा मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार में आईजी कानून व्यवस्था के पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
डीजीपी आदेश पत्र में लिखा गया है कि राजकुमार वर्मा को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और ईओडब्लू की जिम्मेदारी के साथ-साथ अतिरिक्त प्रभार के लिए उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है और स्थायी नियुक्ति होने तक आप इस पद पर रहेंगे। इसके अलावा पत्र में लिखा गया है कि इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त वेतन या भत्ता प्रदान नहीं किया जाएगा।